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Thursday, 6 April 2023

पुस्तक चर्चा – ‘I am Not the Gardener’


पुस्तक चर्चा – ‘I am Not the Gardener’

03 अप्रैल, 2023 को राज बिसारिया जी की किताब, ‘I am Not the Gardener’ के विमोचन समारोह में जाने का सुयोग हुआ. विमोचन Metaphor Lucknow Litfest के तत्वावधान में गोल्फ क्लब, लखनऊ में आयोजित किया गया. एक तो रङ्गमञ्च के शलाका पुरुष, राज बिसारिया जी, की किताब, उस पर Metaphor Lucknow Litfest का आयोजन, जाना तो अवश्यंभावी ही था.

किताब कविताओं की है, उस पर अंग्रेजी में है फिर भी राज बिसारिया जी की कविताओं से परिचित होने का, उनसे और उनके बारे में सुनने का आकर्षण ऐसा दुर्निवार था कि अंग्रेजी ( अंग्रेजी और मेरा रिश्ता तो मालूम ही है ना ! मैं कहाँ और ये बवाल कहाँ … ) जाते ही बना. उनके बारे में चुटीले अंदाज़ में संस्मरणात्मक वक्तव्य अतुल तिवारी जी, सलमान ख़ुर्शीद जी व अन्य कई लोगों ने दिया, कई मित्रों व परिचितों से भेंट भी हुई … किंतु विमोचन समारोह के बारे में नहीं, किताब के बारे में कुछ कहूँगा.

किताब ली और पढ़ भी ली. बताया गया था कि हिन्दी और अंग्रेजी में कविताओं का संकलन है किंतु इस संकलन में अंग्रेजी की ही कविताएं हैं. विभिन्न मूड को व्यक्त करती हुई और कई विषयों पर 37 कविताएं हैं इसमें और ये कई वर्षों में लिखी गयीं. जो कुछ कविताएं मैंने लक्ष्य कीं, उनमें से कुछ अंश देखें तो शायद इस संकलन की झलक मिल सके.

जिस कविता पर इस किताब का शीर्षक रखा गया, उस कविता का शीर्षक है The Curtain Boy और वह इस संकलन की पहली कविता है, कुछ पंक्तियां देखें –

I am not the gardener,

Nor the owner of the garden.

My job is to do odd things

To weed out little wrongs:

To keep the pathway clean

For you when you walk abroad: …

 

To a Young Actor की कुछ पंक्तियां देखें. रङ्गमञ्च के सिद्ध निर्देशक की ये पंक्तियां युवा कलाकारों से क्या कहती हैं –

… You too will rise, late at nights

And share your love with faces

Without names and

Names without faces.

And in you will be born

A delicate concern

For not only your own,

But those who have gone this way

Before, and will after you

You will as wind and water

In not belonging, belong everywhere…

                           *******************

… You are accountable alone

On a page

Still left blank

In the stillness of Time,

-         Song of Self से.

5 हिस्सों में कविता है Tomorrow प्रेम और विरह से युक्त आसन्न कल की कुछ अभिव्यक्तियां हैं इसमें, कुछ पंक्तियां देखें –

And in between when

Doubts come to tease

And time comes to tear

My heart’s raiment bare

And all around me gray

Is stealing sadly, slowly

In my heart, and hair,

What then will I tell them ?

This is how I love her.

 

कविताएं तो सभी मननीय हैं,  जो अंश यहाँ दे रहा हूँ, वह नमूना भर हैं. बस एक कविता Resonance का कुछ हिस्सा देखें और रुचि उत्पन्न हो रही हो तो किताब से सारी कविताएं पढ़ें –

Love is so much of the

Nothingness

As ripe the sage’s mind

In vacancy, in

Mindlessness,

Resonance of sentience









Melodies scaling

Horizons

Clouds of heavenlessness …

 

कुछ किताब के कलेवर के बारे में –

किताब के कलेवर की चर्चा न की जाए तो कुछ अधूरा सा लगेगा. किताब का कागज, छपाई, बाईण्डिंग … सभी कुछ उच्चकोटि का है. यह मुझे इसी किताब से मालूम हुआ कि किताबों के भी लिमिटेड एडिशन होते हैं. किताब पर लिखा भी है, Limited first edition. किताब चिकने और मोटे कागज पर मुद्रित है. कवर सज्जा आप देख ही रहे हैं, हर पेज पर कुछ ग्राफिक्स और फोटोग्राफ्स हैं ( कुछ की छायाप्रति चस्पा है ) जो लेखक के व्यक्तिगत संग्रह से लिए गये हैं, कुछ पोट्रेट तो कुछ मञ्चन के और कुछ इमारतों के. किताब के साथ उसकी सज्जा से मेल खाता हुआ सुंदर बुक मार्क भी है. कुल मिला कर किताब पठनीय के साथ कलात्मक भी है.

किताब - I am Not the Gardener’

लेखक – राज बिसारिया

विधा – काव्य

प्रकाशक – Terra Firma, Bangalore

दाम - 275/-

     

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