पत्रिका चर्चाःसदानीरा
सदानीरा
विश्व कविता और अन्य कलाओं की पत्रिका
सदानीरा मेरी प्रिय पत्रिकाओं में से एक है, कारण कि यह विश्व कविता से परिचित कराती है. हिन्दी में उत्कृष्ट अनुवाद के माध्यम से देश व विदेश की अच्छी कविताएं, कवि परिचय व आवश्यक हुआ तो कविता विशेष की पृष्ठभूमि/रचना प्रक्रिया के साथ पढ़ने को मिल जाती हैं. कवि का वक्तव्य भी बहुधा होता है. कविता अपनी पृष्ठभूमि के साथ मिलती है. ऐसा नहीं कि 'सदानीरा' में केवल कविता ही होती है, अन्य कलाओं पर भी आलेख होते हैं तो गद्य का भी अवदान इसमें होता है.
अब
बात
इस
अंक
की.
यह
ग्रीष्म
2023 अंक है
और
बहुभाषिकता
केन्द्रित
है.
इस
अंक
में
कई
भाषाओं
की
कविताएं
हैं.
अंग्रेजी, कुड़ुक, खासी, अवधी, गुजराती, भोजपुरी
और
तमिल
कविताएं
हैं
इस
अंक
में.
अवधी
और
भोजपुरी
कविताएं
ही
हैं
जिनके
अनुवाद
की
ज़रूरत
नहीं, बाक़ी
का
हिन्दी
अनुवाद
है.
हर
भाषा
की
कई
कविताएं
हैं
तो
इन
भाषाओं
की
कई
अच्छी
कविताओं
का
आनन्द
देता
है
यह
अंक.
कविताओं
के
अतिरिक्त
आलेख
भी
हैं
और
उद्धरण
भी.
आलेख
रामचंद्र
गुहा, भाष्वती
घोष, रमाशंकर
सिंह आदि
के
हैं
और
उद्धरण
लुडविग
विट्गेन्स्टाइन
के
हैं
जिनका
हिन्दी
में
अनुवाद
किया
है
अशोक
वोहरा
ने.
दो
उद्धरण
देखें
-
"किसी
बेहूदा
जासूसी
कहानी में
कही गयी
बात किसी
बेहूदा
दार्शनिक
द्वारा
कही जाने
वाली बात
से कहीं
अधिक महत्वपूर्ण
और स्पष्ट
होती है."
***
" हे
भगवान ! दार्शनिक
को सभी
व्यक्तियों
की आँखों
के सामने
रखी वस्तुओं
को देखने
की अंर्तदृष्टि
प्रदान
कर."
आलेख
भी
सभी
पठनीय
हैं
किन्तु
अकादमिक
विवेचन
से
अलग
दिनेश
श्रीनेत्र
का
'सिनेमा
की
बहुभाषिकता', अखिल
रंजन
का
'यात्राओं
में
बहुभाषा
के
सबक' और
माज़
बिन
बिलाल
का
'हमारा
बहुभाषी
घर' बहुभाषिकता
के
रोचक
आयाम
दिखाते
हैं.
कविताओं
में
मेरी
भाषा, अवधी, की
भी
कविताएं
हैं, उनमें
भी
अवधी
सेवी
मित्र
अमरेन्द्र
अवधिया
की
कविताएं.
मेरे
लिए
इस
अंक
का
एक
आकर्षण
यह
भी
है.
एक
अवधी
कविता, 'बप्पा
कै
नन्हकी
बिटियवा' का
अंश
देखें
-
"बिस्कुट
क कहै
'कुट्कुट'
बप्पा क
कहै 'भप्पा'
बप्पा जौ
कहूँ डोलयँ
हेरय ऊ
चप्पा-चप्पा
... "
********************
पत्रिका - सदानीरा
यह अंक
29/वर्ष
9
- अप्रैल-सितम्बर
2023
ग्रीष्म 2023 बहुभाषिकता
प्रकाशक - हिन्द
युग्म
इस अंक
का दाम
200/-
सम्पर्क सूत्र
- editor@sadaneera.com
अमेज़न पर
भी उपलब्ध
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