पुस्तक चर्चा – SUNDAR KANDA- An Interpretation in English
रामचरितमानस सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला महाकाव्य है जिसे धार्मिक ग्रंथ का दर्जा प्राप्त है. सात काण्डों के इस ग्रंथ में ‘सुंदरकाण्ड’ का पाठ सबसे अधिक किया जाता है. हनुमान जी के चरित को समाहित किए हुए इस काण्ड में सीता की खोज के लिए हनुमान जी के लङ्का प्रयाण से सेतुबन्धन की पूर्वपीठिका ( सागर द्वारा पुल बनाने का सुझाव देना ) तक का वर्णन है. इस काण्ड में 60 दोहे हैं.
जन-जन में व्याप्त इस ग्रन्थ का परिचय देने की आवश्यकता न थी किन्तु परिचयात्मक उल्लेख इसलिए किया कि कुछ दिन पूर्व अख़बार में Ministhy S. द्वारा रामचरितमानस के अंग्रेजी अनुवाद के बारे में पढ़ा. सहज ही कौतूहल हुआ कि अवधी के इस काव्य का अंग्रेजी में कैसा अनुवाद किया गया होगा. श्लोक, दोहा, चौपाई, सोरठा, छंद आदि का काव्य की तरह भावानुवाद किया गया अथवा अर्थ किया गया. यह भी जिज्ञासा थी कि अनुवाद कैसा है ? अर्थात अनुवाद में अर्थ को तोड़ा-मरोड़ा तो नहीं गया. इन जिज्ञासाओं के शमन के लिए पुस्तक देखना आवश्यक हो गया.
गूगल पर खोजा तो पता चला कि Ministhy S. Nair उत्तर प्रदेश कैडर में IAS अधिकारी हैं और लखनऊ में वाणिज्यिक कर आयुक्त ( प्रतिनियुक्ति पर ) हैं. वे केरल की हैं. पुस्तक की भूमिका में उन्होंने बताया कि स्कूल में हिन्दी से उनका ‘प्रेम-घृणा सम्बन्ध’ था (In School, I had a love-hate relationship with Hindi.) हिन्दी क्षेत्र में पोस्टिंग के दौरान उनका हिंन्दी के विविध रूप / लोक भाषाओं – अवधी, ब्रज भाषा, बुंदेलखण्डी, खड़ी बोली, भोजपुरी आदि से परिचय हुआ और वे रामचरितमानस की ओर आकृष्ट हुईं. भाषाओं के इन रूपों से प्रगाढ़ परिचय के साथ इस धार्मिक ग्रन्थ की कथावस्तु, भाषा-शैली, गेयता, लोकप्रियता आदि से प्रभावित होकर इसका अनुवाद करने का निश्चय किया ताकि अहिन्दीभाषी भी इसका रसास्वादन कर सकें. सबसे पहले सुन्दरकाण्ड का अनुवाद किया, बाद में अन्य काण्डों का. तृप्ति जी ने इस पुस्तक की तलाश में मदद की और अमेज़न का लिंक भेजा, मैंने सुन्दरकाण्ड मंगाया.
किताब में मूल काव्य ( श्लोक, दोहा, चौपाई आदि ) हिन्दी में, देवनागरी लिपि में दिया है, उसके साथ अंग्रेजी (रोमन ) में लिखा है ताकि अहिन्दीभाषी आसानी से पढ़ सकें, उसके बाद काव्य का गद्य में अनुवाद किया है. अनुवाद सरल और त्रुटिहीन है. किताब की छपाई व बाईण्डिंग उत्कृष्ट है, मोटे और चिकने कागज पर लाल और काले रंग के अक्षरों में छपी है, साथ में प्रसङ्गानुसार सुन्दर रंगीन चित्र भी दिये हैं. किताब का आवरण व कुछ पृष्ठों के कुछ चित्र चस्पा कर रहा हूँ जिनसे बात और स्पश्ट हो जायेगी. साथ में Ministhy S. Nair जी का चित्र ( प्रथानुसार किताब के पृष्ठ आवरण पर नहीं दिया, गूगल से टीपा ) भी चस्पा कर रहा हूँ.
किताब अहिन्दीभाषियों के लिए तो उपयुक्त है ही, हिन्दीभाषियों में भी नयी पीढ़ी के बच्चों व किशोरों के लिए बहुत उपयोगी है. अधिकांश बच्चे अंग्रेजी माध्यम से पढ़ रहे हैं. पाठ्यक्रम और बोल चाल में हिन्दी के सीमित प्रयोग के अतिरिक्त उनका हिन्दी साहित्य से बहुत ही कम परिचय है, धार्मिक ग्रन्थों और उनमें भी काव्य ग्रन्थों से तो न के बराबर. ऐसे में यह किताब उन्हें इस ग्रन्थ से परिचित करायेगी. रोमन में वे मूल को पढ़ सकेंगे और सरल गद्य में उसका अर्थ भी. इससे ग्रन्थ से परिचित होने के साथ मूल में उनकी रुचि जाग्रत होगी और वे मूल भाषा में पढ़ने को उत्सुक होंगे. इस दृष्टि से भी Ministhy S. Nair जी का काम महत्वपूर्ण और स्तुत्य है. मैंने अपनी नातिन को इसे देने का इरादा किया है, आने पर उसे दूँगा. आप भी इसे देखें और बच्चों को दें.
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